अलिफ लैला की कहानि | Alif Laila Story Friendship
एक समय की बात है, जंगल के किनारे एक पेड़ के नीचे एक कौआ और एक बिल्ला रहते थे। दोनों की दोस्ती पूरे इलाके में मिसाल मानी जाती थी। जहाँ बिल्ला जाए, कौआ उसके सिर के ऊपर उड़ता दिखता। और जहाँ कौआ बैठता, बिल्ला वहीं पसरकर लेट जाता। दोनों साथ खाते, साथ खेलते और मुश्किल समय में एक-दूसरे का सहारा बनते।
एक दोपहर दोनों पेड़ की छाया में आराम कर रहे थे। हवा हल्की थी, माहौल शांत था, और वे दोनों लगभग नींद में जाने ही वाले थे कि अचानक…
पेड़ की जड़ों के पास किसी के भारी पंजों की आहट सुनाई दी।
बिल्ले ने आँखें खोलीं और देखा—एक चीता, धीरे-धीरे, बड़ी चालाकी से, उनकी ओर बढ़ रहा था। उसकी आँखों में भूख और चालाकी दोनों चमक रहे थे।
कौआ तुरंत फड़फड़ाकर पेड़ की ऊँचाई पर जा बैठा। लेकिन बेचारा बिल्ला? उसकी तो जैसे टाँगें जम गईं हों!
बिल्ला घबराकर काँपते हुए बोला,
“दोस्त… कौए… प्लीज़ मेरी मदद करो। अगर मैंने आज बचना है, तो सिर्फ तुम्हारी वजह से ही बचूँगा!”
कौए ने ऊपर से देखा—बिल्ले की आँखों में डर साफ झलक रहा था। उसने कहा,
“अरे पगले, दोस्ती का मतलब ही यही होता है कि मुश्किल में साथ दिया जाए। तू चिंता मत कर, मैं यहीं हूँ।”
Alif Laila Story Friendship
कौआ ऊपर आसमान में चक्कर काटने लगा और सोचने लगा कि इस चीते से कैसे निपटा जाए। तभी उसकी नजर दूर एक पगडंडी पर पड़ी—कुछ चरवाहे, और उनके साथ तीन–चार शिकारी कुत्ते उसकी ओर आ रहे थे।
कौए की आँखों में एकदम चमक आ गई।
“बस! काम बन गया!”
वह तेजी से चरवाहों के पास उड़कर गया और ज़मीन के बिल्कुल पास काँव-काँव करने लगा, जैसे वहाँ कोई शिकार छिपा हो। उसने पंखों से ज़मीन खुरची ताकि कुत्तों का ध्यान वहीं टिक जाए।
कुत्ते चौकन्ने हो गए।
एक ने गुर्राकर कहा,
“अरे! लगता है यहाँ कुछ मिल सकता है!”
दूसरा बोला,
“चलो देखते हैं!”
Alif Laila Story Friendship
और फिर वे सभी कौए के पीछे दौड़ पड़े।
कौआ हवा में बहुत निचाई में उड़ता हुआ कुत्तों को सीधा उस पेड़ तक ले आया जहाँ चीता बिल्ले के पास खड़ा घात लगाए था।
जैसे ही कुत्तों ने चीते को देखा, सब भौंकते हुए उस पर टूट पड़े।
चीता इतनी बड़ी संख्या में कुत्तों को देखकर घबरा गया। वह बिल्ले पर झपटने ही वाला था कि कुत्तों की आवाज़ से वह उछल पड़ा और बिना पीछे देखे जंगल की तरफ रफ़्तार से भाग गया।
कौआ तुरंत वापस पेड़ पर जाकर बैठा और नीचे बिल्ले को देखकर मुस्कुरा कर बोला,
“किसने कहा था कि हम छोटे हैं और वो बड़ा? दिमाग और दोस्ती—दोनों मिल जाएँ तो बड़े से बड़ा जानवर भी भाग जाता है!”
बिल्ले ने राहत की लंबी साँस ली और कौए की तरफ प्यार से देखा।
“दोस्त… आज तूने सच में मेरी जान बचाई है। मैं इस एहसान को जिंदगी भर नहीं भूलूँगा।”
और उस दिन के बाद से उनकी दोस्ती जंगल की सबसे मजबूत दोस्ती मानी जाने लगी।
शिक्षा:
सच्ची दोस्ती वही है, जो मुश्किल वक़्त में साथ खड़ी रहे। चालाकी और समझदारी से बड़ी से बड़ी मुसीबत भी टल सकती है।




