🧠 अकबर-बीरबल की अनोखी परीक्षा | Birbal’s Test ❓

अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Stories | Akbar Birbal Hindi Story

एक बार की बात है। एक सुहानी दोपहर, अकबर और बीरबल महल के बागीचे में टहलते-टहलते एक पेड़ की छाया तले बैठ गए। फूलों की खुशबू हवा में तैर रही थी और एक हल्की-सी हवा बादशाह के चेहरे को छू रही थी।

अकबर ने अचानक अपने हाथ में पकड़े गुलाब को घुमाते हुए पूछा,
“बीरबल, एक बात बताओ… क्या तुम ऐसे किसी इंसान को जानते हो जो अलग-अलग जानवरों की बोली बोल सके? मतलब, चाहे तोते की आवाज़, चाहे शेर की दहाड़ या चाहे गधे की ढेंचू ढेंचू?”

बीरबल तुरंत मुस्कुराए।
“जहाँपनाह, जानवरों की बोलियाँ तो बहुत दूर की बात है… मैं आपको ऐसा आदमी दिखा सकता हूँ, जो इन तीनों की बोली इतनी अच्छी बोलता है कि–”
अकबर उत्सुक होकर बीच में बोले, “कि क्या?”

बीरबल गर्व से बोले, “कि सुनकर आप भी हैरान रह जाएँगे!”

अकबर ने भौंहें उठाईं।
“तो फिर कल ही उसे दरबार में ले आना। मुझे खुद देखना है।”

“जो हुक्म, बादशाह सलामत,” बीरबल ने सिर झुकाया।

अगले दिन दरबार में सबके चेहरे पर उत्सुकता थी—
“कौन होगा वो आदमी?”
“कैसे बोलता होगा?”
“जादूगर होगा क्या?”
हर तरफ कानाफूसी ही कानाफूसी थी।

तभी बीरबल अंदर आए… और उनके साथ चल रहा था एक आदमी, जिसकी चाल लड़खड़ा रही थी… चेहरा लाल… आँखें आधी खुली, आधी बंद… और कपड़ों से शराब की तीखी गंध।

दरबारियों ने तुरंत फुसफुसाना शुरू कर दिया—
“अरे? यह तो शराबी लगता है!”
“ये जानवरों की भाषा बोलेगा?”
“बीरबल भी कभी-कभी अजीब हरकतें करते हैं!”

Akbar Birbal Hindi Story

अकबर ने हैरानी से पूछा,
“बीरबल… ये आदमी? ये वही कमाल वाला इंसान है?”

बीरबल ने शांति से कहा,
“जी हाँ, जहाँपनाह। बस देखिए, कैसे यह जानवरों की बोलियाँ आपके सामने बोलेगा।”

उन्होंने शराबी को थोड़ी शराब पिलाई, सिर्फ एक छोटा-सा घूँट।

शराब ने असर दिखाया।
वह आदमी अकबर के सामने अचानक घुटनों पर गिर पड़ा और रोने लगा—

“जहाँपनाह… मुझसे गलती हो गई! माफ कर दीजिए। मैं तो बस अपनी राह जा रहा था। मुझे पकड़ लाया गया। दया करें! दया करें बादशाह!”

अकबर ने हैरानी से बीरबल की ओर देखा,
“यह क्या है?”

बीरबल बोले,
“जहाँपनाह, यह तोते की भाषा है—
डर-डर कर बोलना, गिड़गिड़ाना, लगातार माफी माँगना… बिल्कुल वैसे जैसे तोता इंसान की नकल करता है।”

अकबर हँस पड़े,
“अच्छा, तो आगे क्या?”

अब बीरबल ने शराबी को एक और बड़ा घूँट पिलाया।

अब शराबी का चेहरा बदल गया।
वह अकबर के सामने अड़ कर खड़ा हो गया और ऊँची आवाज में बोला—

“क्या हुआ अगर आप इस देश के बादशाह हैं? मैं भी अपने घर का बादशाह हूँ! मैं किसी से नहीं डरता! मुझसे बात करने से पहले सोचना चाहिए!”

दरबार में सन्नाटा छा गया।

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अकबर ने हैरानी से कहा,
“ये तो मुझसे लड़ने ही वाला था!”

बीरबल ने हाथ जोड़कर कहा,
“जहाँपनाह, यह शेर की भाषा है!
देखिए कैसे गरज रहा है… निडर… धमकी देता हुआ। जैसे जंगल का राजा शेर!”

अकबर अब जोर-जोर से हँसने लगे।
“बड़ी अजीब कला है!”

अब बीरबल ने तीसरी बार शराब दी।
इस बार शराबी पूरी तरह नशे में धुत हो गया।
वह चलने की कोशिश करता, गिर जाता…
कभी पैरों को हवा में मारता…
कभी बेतुकी आवाजें निकालता— “ढेंऽऽ… ऊँऽ… एह्ह… आओआओ…!”

पूरा दरबार हँसी से फट पड़ा।

अकबर पूछ बैठे,
“ये कौन-सी भाषा है?”

बीरबल ने झुककर कहा,
“जहाँपनाह, यह गधे की भाषा है।
बिना मतलब की आवाजें, बिना वजह की हरकतें, उठना-गिरना, ढेंचू-ढेंचू जैसी आवाजें… यही तो गधे की असली बोली है।”

अकबर इतनी जोर से हँसे कि उनकी पगड़ी तक हिल गई।
उन्होंने बीरबल की तरफ देखा और बोले,
“बीरबल, तुम्हारे जैसा समझदार और हाजिरजवाब इंसान कहीं नहीं! मैं तुम्हें इनाम देता हूँ!”

बीरबल मुस्कुराए और दरबारियों ने ताली बजाकर उनकी बुद्धिमानी की सराहना की।

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