अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Short Story in Hindi
बहुत समय पहले राजाओं के बीच एक अनोखी परंपरा चलती थी—
सिर्फ संदेश ही नहीं, बल्कि पहेलियां और चुनौतियाँ भी एक दूसरे को भेजी जाती थीं। इससे राजाओं की बुद्धिमत्ता और दरबारियों की चतुराई की परीक्षा होती थी।
एक ठंडी सर्दी की सुबह, बादशाह अकबर का दरबार लगा ही था कि महल के विशाल दरवाज़े खुले और एक चमकदार वेशभूषा पहने दूत अंदर आया। उसके हाथ में एक खूबसूरत पिंजरा था, जिसमें एक दहाड़ने जैसा दिखने वाला नकली शेर कैद था।
दूत ने झुककर कहा,
“जय हो बादशाह अकबर की! हमारे महाराज ने आपके लिए एक विशेष चुनौती भेजी है।”
अकबर ने उत्सुकता से पिंजरे को देखा और पूछा,
“कहानी क्या है?”
दूत ने चिट्ठी खोलकर पढ़ा,
“क्या आपके राज्य में ऐसा कोई है जो पिंजरे और शेर को छुए बिना शेर को बाहर निकाल सके? ध्यान रहे—
केवल एक ही मौका मिलेगा।”
दरबार में सन्नाटा छा गया।
अकबर चिढ़े हुए स्वर में बोले,
“यह कैसी अजीब पहेली है? बिना छुए शेर बाहर कैसे आएगा?”
मंत्री एक दूसरे की ओर देखने लगे।
कुछ ने धीरे से फुसफुसाया,
“शायद यह किसी जादू का खेल है…”
“नहीं, इसमें जरूर कोई चाल होगी…”
अकबर ने सभी को आदेश दिया,
“कोई भी तरीका हो… इस पहेली का हल चाहिए। मैं अपने राज्य को नीचा नहीं दिखने दूंगा!”
एक-एक करके दरबारी आगे आए।
Akbar Birbal Short Story in Hindi
■ किसी ने कहा, “महाराज, पिंजरे को हिलाकर देखें!”
अकबर ने घूरकर कहा, “बिना छुए हिलाओगे कैसे?”
■ दूसरे ने कहा, “जादूगर बुला लेते हैं!”
जादूगर आए… मंत्र पढ़े… कुछ भी न हुआ।
■ किसी ने कहा, “रस्सी डालकर खींच लेते हैं!”
अकबर ने डांट लगाया, “रस्सी डालना भी तो छूना ही हुआ!”
घंटों बीत गए, पर पहेली जस की तस खड़ी थी।
इतने में एक सिपाही भागता हुआ आया,
“महाराज! बीरबल लौट आए हैं!”
अकबर का चेहरा चमक उठा।
“उन्हें तुरंत बुलाओ!”
कुछ देर बाद बीरबल शांत और मुस्कुराते हुए दरबार में प्रवेश करते हैं।
“महाराज, लगता है कोई समस्या है? आप कुछ परेशान दिख रहे हैं।”
अकबर ने सारी बात विस्तृत रूप से बताई।
“बीरबल, क्या तुम यह कर सकते हो? याद रहे—पिंजरा और शेर किसी को नहीं छूना है।”
बीरबल ने पिंजरे को गौर से देखा, फिर शेर को।
फिर मुस्कुराए और बोले,
“महाराज, यह काम बिल्कुल संभव है। मुझे केवल दो सुलगती हुई लोहे की छड़ें चाहिए।”
दरबारियों ने आपस में कानाफूसी की—
“लोहे की छड़ें? इसका इससे क्या लेना-देना है?”
“आज तो लगता है बीरबल भी गलती कर बैठे…”
अकबर ने आदेश दिया,
“छड़ें लाओ!”
छड़ें लाई गईं। धधकती, गर्म, लाल।
Akbar Birbal Short Story in Hindi
बीरबल ने बिना पिंजरे को छुए, एक छड़ पिंजरे के थोड़ा ऊपर ले जाकर, दूसरी छड़ को पिंजरे के बीच से अंदर उस “शेर” के शरीर को हल्का सा छुआ दिया।
सभी की आँखें फटी रह गईं।
मोम का शेर पिघलने लगा…
धीरे-धीरे पिघलकर बाहर बह गया…
और पिंजरे के बाहर जमीन पर फैलकर गिर गया।
दरबार में अद्भुत सन्नाटा छा गया, फिर जोरदार तालियां गूंज उठीं।
अकबर हँसते हुए बोले,
“बीरबल! तुमने यह कैसे समझा कि यह शेर मोम का है?”
बीरबल ने विनम्रता से उत्तर दिया,
“महाराज, जब मैंने शेर को देखा, उसकी चमक और बनावट कुछ अलग लगी। वह ज़रा भी नहीं हिल रहा था, और सर्दी में भी मोम जैसा चिकनापन था। तब मुझे अंदेशा हुआ कि यह मोम का हो सकता है।
और चूंकि शर्त थी कि शेर और पिंजरे को छुए बिना बाहर निकालना है—
इसलिए शेर को ‘बहा’ देना ही सबसे तर्कसंगत विकल्प था।”
अकबर ने बड़े गर्व से कहा,
“बीरबल, तुम सच में बुद्धि के खजाने हो!”
दूत हतप्रभ होकर सब देखता रहा।
उसने कहा,
“मैं अपने राजा को बताऊंगा कि अकबर के दरबार में बीरबल जैसा रत्न है।”
कहते हैं, उसके बाद उस पड़ोसी राजा ने फिर कभी अकबर को पहेली भेजने की हिम्मत नहीं की।
शिक्षा:
सच्ची बुद्धिमानी तर्क, ध्यान और शांत दिमाग से पैदा होती है। हर कठिन समस्या का हल होता है—बस उसे सही दृष्टिकोण से देखना पड़ता है।




