एक बार की बात है, एक किसान था। वह दिन-रात मेहनत करके अपनी रोजी-रोटी कमाता था। उसके चार बेटे थे, लेकिन वे आलसी और कामचोर थे। किसान चाहता था कि उसके बेटे भी उसकी तरह मेहनती बनें, लेकिन वे उसकी एक न सुनाते थे।
किसान बहुत दुःखी रहता था। जब वह बहुत बूढ़ा हो गया, तो उसने अपने बेटों को बुलाकर कहा, “बेटों, मैं अब बहुत बूड़ा हो गया हूँ। मेरे जाने के बाद तुम लोग खेत में खूब गहराई तक खोदो। तुम्हें वहाँ बहुत सारा सोना मिलेगा।”
बेटे बहुत खुश हुए। उन्हें लगा कि अब उन्हें मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है। पिता के मरने के बाद वे खेत में खोदने लगे। उन्होंने दिन-रात मेहनत की, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला।
तब उन्हें एहसास हुआ कि उनके पिता ने उन्हें धोखा दिया है। लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि इतनी मेहनत करने के बाद खेत खाली छोड़ना बेकार है। उन्होंने फैसला किया कि वे इस खेत में फसल उगाएंगे।
उन्होंने खेत में बीज बोए और उसका ख्याल रखा। कुछ समय बाद खेत में अच्छी फसल हो गई। उन्हें बहुत सारा अनाज मिला। अब वे समझ गए कि उनके पिता ने उन्हें क्या सिखाना चाहते थे।
कहानी की सीख:
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि मेहनत करने से ही सफलता मिलती है। आलसी लोगों को कभी भी सफलता नहीं मिलती। किसान ने अपने बेटों को यह सिखाना चाहता था कि धन कमाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। सोना खोदने से ज्यादा ज़रूरी है कि हम मेहनत करके अपना भोजन खुद पैदा करें।