बच्चो के लिए कहानियाँ | Story for Children in Hindi
🐺 भेड़िया और बच्चा ➱
दोपहर का समय था। सूरज आसमान में चमक रहा था और चारों ओर गर्मी फैली हुई थी। एक शांत-सा घर था, जहाँ अंदर एक सेविका (दाई) एक छोटे बच्चे को खाना खिलाकर सुलाने की कोशिश कर रही थी।
बच्चा नन्हा और प्यारा तो था, लेकिन उस दिन कुछ ज्यादा ही ज़िद्दी हो गया था। वह बार-बार रो रहा था और किसी भी तरह चुप नहीं हो रहा था। सेविका ने उसे दूध पिलाया, थपकी दी, कहानी सुनाई — लेकिन कुछ काम न आया।
थक-हारकर, और थोड़ी झुंझलाहट में आकर सेविका ने बच्चे को डांटते हुए कहा:
“अगर तुम अब भी नहीं सोए और रोते रहे, तो मैं तुम्हें भेड़िये के सामने फेंक दूँगी!”
उसका इरादा सिर्फ डराने का था, लेकिन उसने सोचा भी नहीं था कि उसकी यह बात कोई सुन रहा है।
🐺 भेड़िये की खुशी ➱
उसी समय, एक भूखा भेड़िया उस घर के पास से गुजर रहा था। कई दिनों से उसने कुछ ढंग का खाया नहीं था। वह कमजोर, लेकिन चालाक था। सेविका की बात उसके कानों में पड़ गई।
“क्या कहा? भेड़िये के सामने फेंक देगी? मतलब मैं तो आज बिना मेहनत के खाना खाने वाला हूँ!”
भेड़िये की आँखों में चमक आ गई। वह बहुत खुश हो गया और सोचने लगा:
“आज तो किस्मत खुल गई! बच्चा खुद मेरी तरफ भेजा जाएगा? क्या बात है! अब बस इंतज़ार करता हूँ…”
वह चुपचाप घर की खिड़की के पास आकर झाड़ियों में दुबक गया, और अपनी लंबी जीभ से होंठ चाटते हुए इंतज़ार करने लगा।
🤫 बच्चा चुप हो गया ➱
लेकिन अंदर कुछ और ही हो रहा था।
जब बच्चे ने सेविका की बात सुनी — कि उसे भेड़िये को सौंप दिया जाएगा — तो वह डर के मारे सहम गया। उसका रोना तुरंत बंद हो गया। वह चुपचाप लेट गया और आँखें बंद कर लीं।
भेड़िया अब बाहर ध्यान से सुन रहा था। उसे कोई आवाज़ नहीं आई।
“हम्म… ये बच्चा अब रो क्यों नहीं रहा? क्या सेविका उसे नहीं डरेगी अब? मुझे तो आज ही भूख मिटानी थी!”
वह बेचैन होने लगा।
👀 भेड़िया खिड़की से झांकने लगा ➱
काफी देर तक जब अंदर से कोई हलचल नहीं हुई, तो भेड़िये की उत्सुकता और भूख इतनी बढ़ गई कि उसने खुद ही झांककर देखने की ठानी।
वह धीरे-धीरे खिड़की के पास आया और अपनी लंबी नाक और आंखें अंदर झुकाकर झांकने लगा। उसकी लाल आंखें और पैने दांत चमक रहे थे।
उसी समय सेविका ने उसकी परछाईं देख ली।
🚨 सेविका का साहस ➱
सेविका पहले तो थोड़ी डर गई, लेकिन फिर उसने तुरंत खिड़की को जोर से बंद किया और तेज आवाज़ में चिल्लाने लगी:
“बचाओ! बचाओ! कोई है? भेड़िया! भेड़िया!”
उसकी आवाज़ सुनकर आसपास के लोग और पड़ोसी बाहर निकल आए। भेड़िया घबरा गया। उसने देखा कि अब बचने का कोई और रास्ता नहीं है।
वह दुम दबाकर जंगल की ओर भाग गया और सोचने लगा:
“आज तो भूखा ही रह गया… और डर के मारे जान भी गई थी!”
शिक्षा :
डराने के लिए कही गई बात भी कभी सच्चाई बन सकती है, इसलिए सोच-समझकर बोलें। बच्चों को डराने के बजाय प्यार से समझाना बेहतर होता है।
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