राजा कृष्णदेव राय और मोर की मूर्खता | Tenali & Red Peacock

Tenali Rama Motivational Story if greed and red peacock

विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय को अद्भुत और दुर्लभ वस्तुएं इकट्ठा करने का बहुत शौक था। उनके दरबार में हर समय कोई न कोई अपने संग्रह को बढ़ाने के लिए नई-नई चीजें लाकर प्रस्तुत करता था। राजा का यह शौक कभी-कभी उनकी उदारता का दुरुपयोग भी करता था, और कई बार दरबारी इसका फायदा उठाने की कोशिश करते थे।

एक दिन एक चालाक दरबारी ने सोचा कि क्यों न वह राजा से बड़ा इनाम लेकर कुछ पैसा कमाए। उसने एक रंग विशेषज्ञ से मिलकर एक मोर को लाल रंग में रंगवाया। फिर वह मोर को लेकर राजा कृष्णदेव राय के दरबार में पहुंचा और बोला, “महाराज, मैंने मध्य प्रदेश के घने जंगलों से एक अनोखा लाल मोर मंगवाया है, जो सिर्फ वहीं पाया जाता है।”

राजा कृष्णदेव राय ने मोर को बड़े ध्यान से देखा। मोर सचमुच कुछ खास दिख रहा था, लेकिन राजा को तुरंत संदेह हुआ। वह बोले, “यह तो सचमुच अद्भुत है। तुमने कितने पैसों में इसे मंगवाया?”

दरबारी ने बड़ी शान से जवाब दिया, “महाराज, यह मोर लाने में मैंने अपने दो सेवकों को पूरे देश भर में भेजा था। उन्हें वर्षों तक खोज करनी पड़ी, और आखिरकार यह मोर उन्हें मध्य प्रदेश के जंगलों में मिला। इस पूरे अभियान पर मैंने करीब पच्चीस हजार रुपये खर्च किए हैं।”

राजा कृष्णदेव राय ने मंत्री को आदेश दिया, “इन सज्जन को पच्चीस हजार रुपये राजकोष से दे दिए जाएं।”

राजा ने फिर कहा, “इसके अलावा एक सप्ताह बाद उचित पुरस्कार भी दिया जाएगा।”

दरबारी के चेहरे पर खुशी झलकने लगी। उसने तेनाली रामा को घूरते हुए सोचा कि अब यह अवसर आया है, जब वह सबको धोखा देकर बड़ा लाभ कमा सकता है।

लेकिन तेनाली रामा ने दरबारी की मुस्कान और उसकी चाल को भांप लिया। उसे पता था कि कोई भी “लाल मोर” नहीं पाया जा सकता। यह सब कुछ जरूर धोखाधड़ी है। उसने चुपचाप अपनी योजना बनाई और अगले दिन ही वह चित्रकार के पास पहुंचा जो मोरों का रंग बदलने का काम करता था।

तेनाली रामा ने चार सामान्य मोरों को लिया और उन्हें लाल रंग से रंगवाकर दरबार में लेकर गया। राजा से बोला, “महाराज, हमारे मित्र दरबारी ने पच्चीस हजार रुपये में केवल एक लाल मोर मंगवाया था, और मैंने पचास हजार में इनसे भी अधिक सुंदर चार लाल मोर ले आए हैं।”

राजा ने इन मोरों को देखा और पाया कि तेनाली रामा के मोर उन दरबारी के मोर से कहीं अधिक सुंदर और चमकदार थे। राजा ने तुरंत आदेश दिया, “तेनाली रामा को राजकोष से पचास हजार रुपये दिए जाएं।”

तेनाली रामा ने राजा से कहा, “महाराज, इन मोरों का असली श्रेय इस चित्रकार को जाता है, जिसने इन मोरों को रंगने का अद्भुत तरीका सिखाया। मैं तो बस उनका प्रसार कर रहा हूं।”

राजा ने तुरंत ही सारा माजरा समझ लिया। वह तुरंत दरबारी के पास पहुंचे और उसे 25 हजार रुपये लौटाने के आदेश दिए। साथ ही, 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया, क्योंकि उसने राजा को धोखा देने की कोशिश की थी। वहीं, चित्रकार को अच्छे इनाम से नवाजा गया।

दरबारी ने सिर झुका लिया और चुपचाप मुंह लटकाए खड़ा रह गया।

शिक्षा :

सच्चाई हमेशा सामने आती है, चाहे जितना भी झूठ बोला जाए। न्याय के लिए सही रास्ते पर चलना और किसी के दबाव में आकर झूठ नहीं बोलना चाहिए।

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