अकबर बीरबल | Akbar Birbal Short Story in Hindi
सालों पहले, राजाओं के बीच संदेश भेजने के साथ-साथ पहेलियां भेजने का चलन था। एक ठंडी सर्दी की सुबह, एक पड़ोसी राज्य के राजा का दूत बादशाह अकबर के दरबार में आया। वह अपने साथ एक पिंजरे में बंद नकली शेर लेकर आया था। इसके साथ एक संदेश भी था, जिसमें लिखा था:
“क्या आपके राज्य में ऐसा कोई है जो पिंजरे और शेर को छुए बिना उसे बाहर निकाल सके? लेकिन ध्यान रहे, शेर को बाहर निकालने के लिए केवल एक ही मौका मिलेगा।”
यह संदेश पढ़ते ही अकबर उलझन में पड़ गए। उन्होंने दरबार में मौजूद अपने मंत्रियों और दरबारियों से पूछा, लेकिन कोई भी इस मुश्किल पहेली का उत्तर नहीं दे सका।
अकबर ने सोचा, “अगर इस पहेली का हल नहीं निकला, तो यह हमारे राज्य की प्रतिष्ठा के लिए शर्मिंदगी का कारण बनेगा।” फिर उन्हें अपने सबसे चतुर मंत्री, बीरबल की याद आई। लेकिन बीरबल किसी सरकारी काम से राज्य के बाहर थे।
अगले दिन दरबार लगा, और शेर की पहेली पर विचार चलता रहा। एक-एक करके दरबारियों ने कोशिश की, लेकिन कोई भी सफल नहीं हो सका। कुछ ने जादूगरों को बुलाया, तो कुछ ने यंत्रों का उपयोग किया, लेकिन सब विफल रहे।
तभी, शाम के समय, बीरबल दरबार में लौटे। उन्होंने अकबर को परेशान देखकर पूछा, “महाराज, आप इतने चिंतित क्यों हैं?”
अकबर ने पूरी समस्या बताई और पूछा, “क्या तुम इस शेर को पिंजरे से बाहर निकाल सकते हो?”
बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “जी हां, महाराज। मुझे बस दो सुलगती हुई लोहे की छड़ें चाहिए।”
अकबर ने तुरंत उसकी व्यवस्था करवाई।
बीरबल ने लोहे की छड़ें लीं और पिंजरे को बिना छुए, एक छड़ को पिंजरे के अंदर नकली शेर से स्पर्श कराया। जैसे ही गर्म छड़ शेर को छूई, शेर पिघलने लगा। कुछ ही देर में मोम का शेर पिंजरे से बाहर बहकर गिर गया।
दरबार में हर कोई हैरान था। अकबर ने उत्सुकता से पूछा, “तुम्हें कैसे पता चला कि यह शेर मोम का है?”
बीरबल ने विनम्रता से उत्तर दिया, “महाराज, यह बस ध्यान देने की बात थी। पिंजरे में बंद शेर की चमक और उसकी बनावट से मुझे शक हुआ कि यह असली नहीं, बल्कि मोम का हो सकता है। जब सवाल यह था कि शेर को छुए बिना बाहर निकालना है, तो मैंने उसे पिघलाने का उपाय अपनाया।”
बीरबल की चतुराई से प्रभावित होकर अकबर ने उन्हें ढेरों इनाम दिए। वहीं, दूत अपने राजा को बीरबल की बुद्धिमानी की कहानी सुनाने के लिए वापस लौट गया। ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद उस राजा ने अकबर के दरबार में कोई पहेली नहीं भेजी।
शिक्षा :
बुद्धि और विवेक से हर मुश्किल को सुलझाया जा सकता है। बल से अधिक, हर समस्या के समाधान के लिए सोच और चतुराई की जरूरत होती है।
आशा है यह अकबर और बीरबल की कहानी (Akbar Birbal Short Story in Hindi) आपको दिलचस्प और रोचक लगी होगी। इसी तरह की और भी प्रेरणादायक, मजेदार, मोटिवेशनल, जीवन को दिशा देने वाली और नैतिक मूल्यों से भरपूर कहानियाँ पढ़ने के लिए “होम पेज” (Home) पर अवश्य जाएं। वहाँ हिंदी कहानियों का एक विशाल और अनोखा संग्रह आपका इंतज़ार कर रहा है। यह संग्रह हर आयु वर्ग के पाठकों के लिए खासतौर पर चुना गया है, जिसमें नई-पुरानी, छोटी-बड़ी, क्लासिक और रोचक कहानियाँ शामिल हैं, जो आपको प्रेरणा, आनंद और नई सोच से भर देंगी
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