एक बार की बात है, एक दूर के राज्य में एक राजा और रानी रहते थे। वे बहुत अच्छे लोग थे, लेकिन उनके कोई बच्चे नहीं थे। एक दिन, उनके महल के तालाब में एक जादुई हंस उतरा। यह हंस हर दिन एक सुनहरा अंडा देता था। राजा और रानी बहुत खुश हुए। वे उस अंडे को बेचकर बहुत धनवान हो गए।
रानी बहुत खुश थी, लेकिन उसकी खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिकी। वह बहुत लालची थी। उसे लगता था कि अगर एक दिन में एक अंडा मिलता है, तो सारे अंडे एक साथ मिल जाएं तो कितना अच्छा होगा। वह सोचती थी कि अगर वह एक बार में सारे अंडे ले लेती है, तो वह बहुत अमीर हो जाएगी।
एक दिन, जब हंस अंडा देने आया, तो रानी ने उसे पकड़ लिया। उसने हंस से कहा, “तुम हर दिन एक अंडा देते हो, लेकिन मैं चाहती हूं कि तुम सारे अंडे एक साथ दे दो।” हंस ने समझाया कि वह ऐसा नहीं कर सकता, लेकिन रानी नहीं मानी। उसने जोर से हंस को खींचा और उसके सारे अंडे एक साथ निकाल लिए।
लेकिन जैसे ही रानी ने अंडे निकाले, हंस मर गया। और उसके बाद से, कभी भी कोई सुनहरा अंडा नहीं मिला। राजा और रानी को बहुत पछतावा हुआ। उन्होंने अपनी लालच के कारण अपना सौभाग्य खो दिया था। वे सीख गए कि लालच बुरी बुरी बात है।