एक बार की बात है, घने जंगलों में एक शेर रहता था। शेर जंगल का राजा था और सभी जानवर उसका आदर करते थे। शेर के साथ एक भेड़िया भी रहता था। भेड़िया शेर का बहुत बड़ा प्रशंसक था और हमेशा उसकी सेवा में लगा रहता था। भेड़िया शेर को बहुत चालाक और बहादुर समझता था और हमेशा उसकी तारीफ करता रहता था।
एक दिन शेर और भेड़िया शिकार की तलाश में जंगल में घूम रहे थे। तभी भेड़िये को दूर से भेड़ों की आवाज सुनाई दी। भेड़िया बहुत खुश हुआ और शेर से बोला, “महाराज, मुझे भेड़ों की आवाज सुनाई दे रही है। मैं जाकर देखता हूँ कि क्या कुछ मिलता है।”
शेर ने भेड़िये से कहा, “ठीक है, लेकिन जल्दी लौट आना। मैं भूखा हूँ।”
भेड़िया भेड़ों की ओर दौड़ा। जब वह भेड़बाड़े के पास पहुंचा तो देखा कि भेड़बाड़ा मजबूत दीवारों से घिरा हुआ है और बड़े-बड़े कुत्ते उसकी रक्षा कर रहे हैं। कुत्ते बहुत भौंक रहे थे और भेड़िये को देखकर दौड़ पड़े। भेड़िया डर गया और सोचने लगा कि अब क्या करे।
भेड़िया समझ गया कि भेड़ों को पकड़ना आसान नहीं होगा। वह डर गया और शेर के पास वापस लौट आया। उसने शेर से कहा, “महाराज, मैंने भेड़ों को देखा। वे बहुत ही दुबली-पतली हैं। इनमें कोई मांस नहीं है। हमें इन्हें नहीं खाना चाहिए।”
शेर ने भेड़िये की बात मान ली। दोनों ने मिलकर एक और जगह शिकार ढूंढने का फैसला किया।
रास्ते में शेर ने भेड़िये से पूछा, “तुमने भेड़ों को क्यों नहीं पकड़ा? तुमने तो कहा था कि तुम जाकर देखोगे।”
भेड़िया डरते हुए बोला, “महाराज, वहां बहुत बड़े-बड़े कुत्ते थे। वे मुझे मार डालते।”
शेर ने भेड़िये को समझाया, “डरना कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन झूठ बोलना गलत है। अगर तुम मुझसे सच बोलते तो मैं तुम्हें खतरे में नहीं डालता।”
भेड़िया शेर से माफी मांगी और उसने वादा किया कि वह कभी झूठ नहीं बोलेगा।
कहानी की सीख:
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि सच बोलना बहुत जरूरी है। झूठ बोलने से हमारी प्रतिष्ठा खराब होती है। हमें हमेशा सच बोलना चाहिए, भले ही सच कड़वा क्यों न हो। डर के कारण झूठ बोलना एक बुरा आदत है। हमें अपने डर का सामना करना चाहिए और सच बोलना चाहिए।